Friday 18 March 2016

ज़िन्दगी की नज्म अक्सर गुनगुनाया कीजिए








ज़िन्दगी की नज्म अक्सर गुनगुनाया कीजिए
हसीं बनके आप हमेशा मुस्कुराया कीजिए

भूले से भी गम कोई आकर जो दस्तक दे कभी
अनसुना कर दीजिये,भूल जाया कीजिए

गुजारी तमाम उम्र तुमने कल की परछाई मैं
आज को अब मुस्कुराकर गुदगुदाया कीजिए

सादगी भी इतनी कहाँ अच्छी है हुज़ूर
तौर तरीके जलवे वाले आजमाया कीजिए

कभी कभी किसी पैरहन की जुम्बिश को
याद करके तार मन के झंझानाया कीजिए

ज़िन्दगी बाकी है अब भी तमन्नाएं मौजूद हैं
तन्हाई मैं नज्म मेरी गुनगुनाया कीजिए