Tuesday, 30 July 2019

हां तय था तेरा जाना




हां तय था तेरा जाना

तो गमज़दा किस बात से हूं
तेरी बेरुखी से हैरान नहीं मैं
ताज्जुब अपने जज़्बात से हूं
सुकून तो दिन में भी नहीं था
फिर खफा क्यूं हर रात से हूं
लोग कहते हैं ये फितूर है मेरा
क्या मै अकेला इस जात से हूं
कल ख्वाब में सिर्फ उनकी आंखें ही देख पाया
मै परेशान उनके हिजाब से हूं
तुझसे जुड़े सवाल ये दिल मुझसे पूछता है
मै नाराज़ उन तमाम सवालात से हूं

मेरे आंसू छुपा लेते है अपने बूंदों से
कुछ इस कदर करीब मै इस बरसात से हूं
ये जो वक़्त - बेवक्त चले आते हैं
मै रूबरू तेरे हर ख्यालात से हूं
हर धड़कन में अब बगावत सी है
मै खफा पूरी कायनात से हूं

अब सवाल करना छोड़ चुका हूं
मै वाक़िफ उनके हर जवाब से हूं
वहम ना रखना कि मै हार गया तुझसे
मै हारा सिर्फ अपने हालात से हूं

Edited by :- Chaitanya gopal

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