आंखो मे बसने वाले आंसू बनकर निकल गये
दिल मे रहने वाले दिल जलाकर निकल गये
जिस राहो पर मेरा कभी इन्तेज़ार करते थे
आज उसी राह मे चेहरा छुपाकर निकल गये
जिनसे मेहकती थी कभी मेरे ख्वाबो की गलियाँ
वोहि मेरे सपनो को आग लगाकर निकल गये
जिस प्यार की खुशबू बसी थी मेरे आंगन मे
वो बेवफा फूलो को मुर्झाकर निकल गये
किस तरह अब गुज़रेगी ये जीवन की सवारी
जब मुझे मौत की गलियाँ दिखा कर निकल गये
जब बयान की अपने जीवन की कहानी
तो लोग वाह !! वाह !! सुनाकर निकल गये.
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