Sunday 19 June 2011


आंखो मे बसने वाले आंसू बनकर निकल गये
दिल मे रहने वाले दिल जलाकर निकल गये

जिस राहो पर मेरा कभी इन्तेज़ार करते थे
आज उसी राह मे चेहरा छुपाकर निकल गये

जिनसे मेहकती थी कभी मेरे ख्वाबो की गलियाँ
वोहि मेरे सपनो को आग लगाकर निकल गये

जिस प्यार की खुशबू बसी थी मेरे आंगन मे
वो बेवफा फूलो को मुर्झाकर निकल गये

किस तरह अब गुज़रेगी ये जीवन की सवारी
जब मुझे मौत की गलियाँ दिखा कर निकल गये

जब बयान की अपने जीवन की कहानी
तो लोग वाह !! वाह !! सुनाकर निकल गये.

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